क्षणिकाएं – १७

क्षणिकाएं – १७

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डरता हूं दुनिया रश्क करेगी मेरी मोहब्बत पर
ये साल दर साल चन्द्रकला सी निखर रही है
चांद पर तो बादलों का साया भी जाता है
तेरे प्यार की चांदनी निर्बाध मुझ पर पड़ रही है।।

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बस कुछ छोटी छोटी ख्वाहिशें हैं
पूरी हो जाएं तो चलूं
तेरे शाने पे बिखरी जुल्फ सहलाऊं तो चलूं
तुझको अपनी बाहों में सुला पाऊं तो चलूं।।

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जिंदगी खुशियों और गम की एक किताब
जिसमे है तेरे खुद के कर्मों का हिसाब
तू करता चल अपने हिस्से का काम
वक़्त आने पर मिलेगा तुझे उसका इनाम।।

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मन की व्यथा बड़ी निराली है
मिले प्रशंसा खुश होते, निंदा लगती मानो गाली है।
पर इतना अर्थ समझ लीजे,
जो करे प्रशंसा झूठी, दुश्मन वो, परखे दोस्त कसौटी पे।।

आभारनवीन पहल२८.०८.२०२२  💐🎉🙏🌹

# नॉन स्टॉप 2022 

 

 

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5 Comments

Satvinder Singh

13-Sep-2022 10:50 AM

सही कहा आपने

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shweta soni

31-Aug-2022 11:59 AM

Nice

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Gunjan Kamal

29-Aug-2022 01:16 AM

बहुत खूब

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